लेखनी कहानी -06-Sep-2022... रिश्तों की बदलतीं तस्वीर..(4)
सगाई की तैयारियां जोरों से हो रहीं थीं..। सलोनी कभी विनी के साथ तो कभी सुजाता के साथ शांपिग के लिए जाती थीं...। एक रोज उसने रमादेवी से जिद्द की चलने के लिए...। लेकिन सुजाता के दखलंदाजी करने पर और गुस्सा करने पर सलोनी विनी के साथ ही चलीं गई....।
सलोनी के जाने के बाद उसी रोज़.... सुजाता ने अपने पति सुनील से बात की..।
देखो अब बात हद से बढ़ती जा रहीं हैं..। सलोनी की जिद्द बहुत ज्यादा हो रहीं हैं...। मैं सालों से आपको बोल रहीं हूँ.. आप हर बार मुझे टाल देते हो... लेकिन अब आपको एक फैसला तो लेना ही होगा...। बहुत हो गया... मुझसे अब ओर बर्दाश्त नहीं होता...।
अरे क्या हुआ.... क्यूँ इतना परेशान हो रहीं हो...।
आप सब जानते हैं... इसलिए बात को ज्यादा बढ़ाईये मत... फैसला किजिए.... अभी का अभी..।
सुजाता.... ये कोई गुड्डे गुड़िया का खेल थोड़ी ना हैं जो तुमने बोला ओर हो गया...। इन सबके लिए समय लगता हैं..।
मुझे पता था आप ऐसा ही कुछ बोलोगे... इसलिए मैने पहले से ही सारी जानकारी हासिल करके रखी हैं....।
क्या मतलब....! कैसी जानकारी...!
इतना आश्चर्य में आने का क्या मतलब हैं....। आपको बताया तो हैं मैने सब....।
देखो सुजाता... अभी सही वक़्त नहीं हैं.. उसके लिए... सलोनी की शादी हो जाने दो... पहले वो हमारी जिम्मेदारी हैं... उसके बाद सोचते हैं...।
ऐसा कहकर सुनील अपने कमरे से बाहर की तरफ़ आया...। सुजाता भी उसके पीछे पीछे आई...। सुनील रमादेवी के कमरे के बाहर पहुंचा ही था की सुजाता फिर से सुनील से बहस करने लगी...।
मैं जानती थीं....। आप ऐसा ही बोलोगे....। आप चाहते ही नहीं हो की मैं खुश रहूँ...। पूरी दुनिया की फिकर हैं आपको... सिर्फ मेरे बारे में कभी नहीं सोचते आप....। सब समझ गई हूँ मैं....। लेकिन आज मैं आपकी एक नहीं मानूंगी.... अगर आप जिद्दी हैं तो मैं भी अपनी जिद्द मनवाके रहूंगी....। अब जब तक आप फैसला नहीं करेंगे... मैं अन्न का एक दाना नहीं खाऊंगी...।
सुजाता... पागलपन मत करो....। ये वक्त बहस करने का या जिद्द करने का नहीं हैं....। इस वक्त सलोनी के बारे में सोचो बस..।
उसी के बारे में सोच रही हूँ.... तभी आपसे कह रहीं हूँ...। सलोनी अब बच्ची नहीं रहीं हैं....। उसकी बेमतलब की जिद्द बढ़तीं जा रहीं हैं...। आज मॉल ले जाने की जिद्द कर रहीं थीं कल सगाई में चलने की करेगी... परसों शादी की करेगी...। आप क्या चाहते हो सारे समाज के आगे मेरी बात पकड़ी जाए... । अगर आपकी माँ बाहर निकली तो लोग तो मुझसे सवाल करेंगे ना की मैने सालों से उन्हें बंद क्यूँ करके रखा हैं... और ये मत भूलिए... इन सब में आप खुद भी शामिल हैं...। आपको ही अपनी माँ को बाहर ले जाने में शर्म महसूस होतीं थीं...। आपने ही मुझे ऐसा करने को कहा था...। अब अगर आपकी माँ अचानक से बाहर आई तो लोगों के सवालों के जवाब कौन देगा बोलिए...!!
हाँ हाँ ठीक हैं.... सब मेरे ही कहने पर किया हैं पता हैं... लेकिन इतनी जल्दी में कोई फैसला लेना सही नहीं हैं...। सलोनी से मै बात कर लूंगा...। अभी जैसा चल रहा हैं चलने दो...। मैं गारंटी लेता हूँ... मम्मी किसी भी मौके पर कमरें से बाहर नहीं आएगी....। मैं कर लूंगा उनसे भी बात...। एक बार घर में शादी हो जाने दो उसके बाद सोचते हैं.... क्या करना हैं...।
ठीक हैं.... लेकिन आज के बाद कुछ भी गड़बड़ हुई तो उसके जिम्मेदारी सिर्फ आपकी होगी.... मेरी नहीं...। लोगों के सवालों के जवाब अब आप ही दिजिएगा...।
सुजाता ऐसा कहकर पैर पटकती हुई अपने काम में लग गई....। सुनील भी किसी काम से बाहर चला गया... ।
लेकिन वो दोनों इस बात से बिल्कुल अंजान थे की उन दोनों के बीच हुई सारी बहसबाजी को रमादेवी ने सुन लिया था...।
रमादेवी जो आज तक अपनी बहू को ही दोष दे रहीं थीं.... उस पर क्या बिती होगी जब उसे अपने बेटे के बारे में पता चला होगा...।
रमादेवी के जीवन में एक नाटकीय मोड़.... जानने के लिए इंतजार करे अगले भाग का.....।
Pallavi
10-Sep-2022 11:09 PM
Very nice
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Chirag chirag
10-Sep-2022 06:49 PM
Nice post
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Seema Priyadarshini sahay
10-Sep-2022 06:21 PM
बहुत खूबसूरत
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